केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात |
जिसने दिया सहारा सर को ,तनहा सारी रात |
कितना दर्द दबा रक्खा ,दिल के तहखाने ने ,
मुस्काती आँखें हरजाई ,कह दी सारी बात |
जलता तिल-तिल झिलमिल-झिलमिल स्नेह भोर की आस ,
अदना दीपक क्षीण वर्तिका ,उसपर झंझावात |
मस्त फकीरा खाली झोली ,लेकिन हृदय विशाल ,
भीख दया की उसे न भाये ,ना कोई खैरात |
बिस्तर धरती अम्बर चादर ,घर सारा संसार ,
तोलेगा दौलत से उसको ,किसकी ये अवकात|
बिन बोले कुछ चलागया कल ,ना जाने किस ओर ,
छोड़ गया कुछ खट्टे- मीठे ,अनुभव के सौगात |
रघुनाथ प्रसाद
भीख दया की उसे न भाये ,ना कोई खैरात |
बिस्तर धरती अम्बर चादर ,घर सारा संसार ,
तोलेगा दौलत से उसको ,किसकी ये अवकात|
बिन बोले कुछ चलागया कल ,ना जाने किस ओर ,
छोड़ गया कुछ खट्टे- मीठे ,अनुभव के सौगात |
रघुनाथ प्रसाद
केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात |
ReplyDeleteजिसने दिया सहारा सर को ,तनहा सारी रात |
...वाह!
केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात |
ReplyDeleteजिसने दिया सहारा सर को ,तनहा सारी रात |
बहुत सुन्दर ...
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चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच
केवल उस तकिये ने देखा बिन मौसम बरसात ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
बहुत खूबसूरत मत्ला है। ग़ज़ल भी शानदार है। बधाई स्वीकार करें।
ReplyDeleteकितना दर्द दबा रक्खा ,दिल के तहखाने ने ,
ReplyDeleteमुस्काती आँखें हरजाई ,कह दी सारी बात |
बहुत ही उम्दा शेर...
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल...
बहुत खूब.
केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात |
ReplyDeleteजिसने दिया सहारा सर को ,तनहा सारी रात |
बहुत खूब..बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..
केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात
ReplyDeleteजिसने दिया सहारा सर को ,तनहा सारी रात ...
लाजवाब शेर है इस ग़ज़ल का ... कमाल का लिखते हैं आप ...
केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात |
ReplyDeleteजिसने दिया सहारा सर को ,तनहा सारी रात
बहुत सुंदर मोतियों की माला में पिरोई
options
ReplyDeleteguddo dadi माँ की शिक्षा संस्कार- 2:41 AM- - Friends
gajal
केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात |
जिसने दिया सहारा सर को ,तनहा सारी रात |
कितना दर्द दबा रक्खा ,दिल के तहखाने ने ,
मुस्काती आँखें हरजाई ,कह दी सारी बात |
जलता तिल-तिल झिलमिल-झिलमिल स्नेह भोर की आस ,
अदना दीपक क्षीण वर्तिका ,उसपर झंझावात |
मस्त फकीरा खाली झोली ,लेकिन हृदय विशाल ,
भीख दया की उसे न भाये ,ना कोई खैरात |
बिस्तर धरती अम्बर चादर ,घर सारा संसार ,
तोलेगा दौलत से उसको ,किसकी ये अवकात|
बिन बोले कुछ चलागया कल ,ना जाने किस ओर ,
छोड़ गया कुछ खट्टे- मीठे ,अनुभव के सौगात |
रघुनाथ प्रसाद भाई जी की show
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भीख दया की उसे न भाये ,ना कोई खैरात |
bahut hi khub dadi ji aapko mera parnaam Read full reply3:34 AM
Priyanka Bharati केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात |
जिसने दिया सहारा सर को ,तनहा सारी रात | bahut sundar paknti h dadi 6:23 AM
D♥Solitary♥Soul♥ (ॐ) D artistic imagination Parnaam Maa,
Aapne jo poem "केवल उस तकिये ने देखा ,बिन मौसम बरसात |" bheja hai woh mujhe bohat hi aacha laga. Aur maine aapse kaal kaha tha k main aap ko mera ek naya art dikhaunga.
To kripiya aap mere photo album check kijiye. Read full reply9:44 AM