Friday, December 4, 2009

दरबार की बातें करें

आइये बैठें यहाँ दरबार की बातें करें ।
आँख करलें बंद बस अखबार की बातें करें ।

फूल की माला लिए उनसे गले मिलने चलें,
हाथ में खंज़र लिए जो प्यार की बातें करें ।

मौसमी बरसात में सारी पुताई धुल गई,
फिर वही जर्जर सड़क रफ़्तार की बातें करें ।

वायुमंडल हो प्रदूषित या गगन में छेद हो,
आइये वातानुकूलित कार की बातें करें ।

फ़र्ज़ का एहसास बाँटें मंच से तकरीर में,
आप केवल आप के अधिकार की बातें करें ।

कल किसी के हाथ में परसों किसी के साथ में,
आज किसकी जेब में सरकार की बातें करें ।

अक्ल से औ शक्ल से घुग्घू दिखाई दे भले,
रहनुमा वो आपके सत्कार की बातें करें ।
-रघुनाथ प्रसाद

2 comments:

  1. बेहतरीन गज़ल
    ब्लाग जगत में इतनी अच्छी गज़ल कम ही पढ़ने को मिलती है
    एक-एक शेर में गजब का कटाक्ष है
    इस शेर ने तो मन मोह लिया यह जितना खूबसूरत है उतना ही आज की समस्या के प्रति गहरा चिंतन
    वायुमंडल हो प्रदूषित या गगन में छेद हो,
    आइये वातानुकूलित कार की बातें करें ।
    --वाह!

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