जिधर ले चली हवा चले तुम ,
ये भी कोई चलना है ?
यह तो बस कोरा कायरपन ,
स्वयं आप को छलना है ।
जीवन में संघर्ष नहीं तो ,
जीने का आकर्षण क्या?
अभिलाषा फूलों की हो तो,
काँटों बीच निकलना है ।
मन में दृढ़ संकल्प, लगन,
निश्चय यदि आगे बढ़ने का ।
पर्वत से निर्झर जैसा गिर,
बाधाओं से लड़ना है ।
भेड़ ढोर सा चलते जाना ,
पेट पालना सो जाना ।
नाम इसी का अगर जिंदगी ,
फिर तो बेहतर मरना है ।
-रघुनाथ प्रसाद
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खुशी का ठिकाना नहीं रहा आपको ब्लाग पर देखकर। मुबारकबाद। रही रचना की बात तो इस मामले में मैं आपका शुरू से कायल रहा हूँ।
ReplyDeleteजीवन में संघर्ष नहीं तो ,
जीने का आकर्षण क्या?
अभिलाषा फूलों की हो तो,
काँटों बीच निकलना है ।
बहुत प्रेरक पंक्तियाँ। वाह। जरा इसी भाव की पंक्तियाँ देखें-
हहाकार लड़ना होगा किलकारी से भरना होगा।
सुमन चाहिए अगर आपको काँटों बीच गुजरना होगा।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com