ज़िंदगी मक्सद जहाँ गर, फिर मज़ा जीने में है ।
क्यों शिकन चेहरे पे आए दर्द जो सीने में है ।
कत्ल करना काटना ही काम है तलवार का,
वह नुमाया हाथ में कि म्यान पशमीने में है ।
खोज ला ऐसी दवा, जड़ से मिटा दे रोग जो,
गम नहीं कड़वी सही, गर फायदा पीने में है ।
काम कोई भी न मुश्किल, ठान ले दिल में अगर,
देर है तो पहल में, शुरुआत कर देने में है ।
है कोई मसला कि जिसका हल कभी मुम्मकिन नहीं?
हौसला जज़्बा अगर, इन्सान के सीने में है ।
जी लिए अपनी ख़ुशी के वास्ते तो क्या जिए,
लुत्फ तो औरों की खातिर ज़िंदगी जीने में है ।
-रघुनाथ प्रसाद
Saturday, June 20, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मुझे क्या पता कि पडोसी का गजल इस तरह अचानक मेरे सामने आ जायेगा और मैं नाम से ही पहचान भी जाउंगी. इस अच्छे से ग़ज़ल के लिए धन्यवाद.ऐसे ही लिखते रहिये.
ReplyDeleteबेहतर ग़ज़ल...
ReplyDeletelutf auron ki khatir jeene me hai ...vaah mera jeeevan udeshya hi likh diya aapne sir ji ....swagat hai
ReplyDeleteshubhkamnayen.swagat.
ReplyDeleteजी लिए अपनी ख़ुशी के वास्ते तो क्या जिए,
ReplyDeleteलुत्फ तो औरों की खातिर ज़िंदगी जीने में है।
बहुत खूब रघुनाथ भाई। सीमाब अकबराबादी कहते हैं कि-
कहानी मेरी रूदादे-जहाँ मालूम होती है।
जो सुनता है उसी की दास्तां मालूम होती है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
wah! handar,shandar,damdar. narayan narayan
ReplyDeleteब्लॉग जगत पर पहला कदम रखने प्र स्वागत-
ReplyDeleteक्यों शिकन चेहरे पे आए दर्द जो सीने में है ।अच्छा लिखा सकारात्मक सोच है
‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......’
इस गज़ल को पूरा पढें यहां
श्याम सखा ‘श्याम’
http//:gazalkbahane.blogspot.com/ पर एक-दो गज़ल वज्न सहित हर सप्ताह या
http//:katha-kavita.blogspot.com/ पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें
word veri...यानि यह कमेन्ट बैरी हटाएं